वर्चुअल कार्पेट फेयर के प्रति निर्यातकों का बढ़ा रुझान

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वर्चुअल कार्पेट फेयर के प्रति बढ़ा रुझान

भदोही। भारत मे पहली बार लगाए गए हैंडीक्राफ्ट के वर्चुअल फेयर में बायर-सेलर के बीच 270 करोड़ रूपये की रायशुमारी के बाद अब वर्चुअल फेयर से कालीन उद्योग की आशाएं बढ़ गयी हैं। वर्चुअल फेयर के आयोजन को लेकर कालीन निर्यात संवर्धन परिषद तैयारियों में जुटा है और माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक सरकार फेयर लगाने की सहमति प्रदान कर सकती है।

कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन के बाद देश विदेश में रद हुए कार्पेट फेयर के बाद अब उद्योग को दोबारा बेहतर करने के लिए वर्चुअल फेयर को एक महत्वपूर्ण प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है। बायर-सेलर के बीच व्यापारिक रिश्ता बनाये रखने के लिए वर्चुअल फेयर एक उपयोगी प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है। कालीन उद्योग में वर्चुअल फेयर लगाने को लेकर कालीन निर्यात संवर्धन परिषद लागतात उद्योग से जुड़े लोगों के साथ चर्चा कर इसे वास्तविक रूप देने में जुटा है। इसी बीच ईपीसीएच के वर्चुअल फेयर में उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए कालीन निर्यताको का उत्साह बढ़ गया है। वहीं इसे लेकर कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि वर्चुअल फेयर को लेकर हम सभी काफी उत्साहित हैं और हमारी तैयारियां चल रही हैं। यह फेयर 21-25 अगस्त तक लगाया जाना प्रस्तावित है। आयातकों तक पहुंच बनाने में निर्यताको के लिए यह फेयर एक बड़ा माध्यम और अवसर बनेगा।

परिषद के सचिव संजय कुमार ने बताया कि जल्द ही कार्पेट वर्चुअल फेयर को लेकर एनडीए क्लेम में स्वीकृति मिलने की संभावना है। सरकार पॉलिसी लेवल पर इसकी सहमति बन चुकी है और सरकार द्वारा अनुदान दिए जाने पर हम स्टाल के चार्ज को 50 फीसदी तक कम कर देंगे। उन्होंने बताया कि शुरुआत में 100 निर्यताको के फेयर में शामिल होने का अनुमान लगाया था लेकिन लोगों के उत्साह को देखकर लगता है कि यह संख्या 300 तक पहुंच सकती है ऐसे में स्टाल का मूल्य दस हजार से भी कम आने की संभावना है।

आईएचजीएफ टेक्सटाइल वर्चुअल फेयर 270 करोड़ की रॉयशुमारी

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