बायर-सेलर मीट में मिली कालीन के व्यापार को नई उड़ान
कई व्यापारिक अनुबंधों पर हुई सहमति कई देशों के आयातक और निर्यातक हुए शामिल
वाराणसी के बड़़ा लालपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में मंगलवार की देर शाम वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से कालीन निर्यातक संवर्धन परिषद (सीईपीसी) द्वारा बायर-सेलर मीट का अयोजन किया गया जिसमें शामिल हुए सैकड़़ो आयातकों व निर्यातकों ने आपसी चर्चा से व्यपार बढ़ाने पर जोर दिया।
भारत का निर्यात विदेशों में कैसे बढ़े इसपर लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन में हस्तशिल्प आयुक्त शांतमनु ने कहा कि हमारा देश विभिन्नताएं लिए हुए है, यहां विभिन्न भाषा, धर्म के साथ विभिन्न कलाएं और उत्पाद बन रहे हैंत्र इससे पूरी दुनिया में भारत का नाम उंचा हो रहा है। उन्होने कहा कि भारत का गलीचा दुनिया के हर विशिष्ट जगहों पर बिछाया जाता है, यह हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होने कहा एक ही स्थान पर विभिन्न देशों के आयातक और निर्यातक को बैठने का कम ही मौका मिलता है, हमारे निर्यातकों को इससे किस तरह के उत्पाद बन रहे हैं और उसमें किस तरीके के कलर, डिजाईन, क्वालिटी की दुनिया में जरूरत है, इसकी जानकारी बढ़ती है। इस उद्योग में लगे कारीगरों के लिए ट्रेनिंग, रोजगार के लिए मुद्रा लोन और मार्केटिंग प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा रहा है। हमे भी उन कारीगरों के हित में काम करना चाहिए। उन्होने सीईपीसी की तारीफ करते हुए कहा कि परिषद बहुत अच्छा कार्य कर रही है। कालीन मेले के सफल आयोजन से भारत को निर्यात बढ़ाने में मदद मिल रही है।
इस दौरान सीईपीसी के चेयरमैन महावीर शर्मा ने कहा कि क्राफ़ट, आर्ट हमारी ताकत है और परिषद इसे बढ़ाने की कोशीश कर रही है। उन्होने निर्यातकों से कहा कि समय पर आर्डर पूरे करने के साथ जिस गुणवत्ता पर आयातक के साथ सहमति बनी हो उससे बेहतर देने का प्रयास होना चाहिए। उन्होने कहा कि कालीन का व्यापार बुनकर के बिना असंभव है ऐसे में बुनकरों को मजबूत कर उनका जीवन बेहर करने के लिए प्रयात और तेज करने की आवश्यकता है।
परिषद के उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि निर्यात में काफी बदलाव आया है। परिषद कालीन के व्यापार के लिए नए देशों में बाजार बना रही है। उन्होने निर्यातकों से कहा कि गुणवत्ता में प्रतिस्पर्धा करें दर में नहीं, मूल्य कम करने से गुणवत्ता में गिरावट आती है। उन्होने कहा कि इस समय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर कोरिया, चाइना, रसिया आदि का अंतर्राष्ट्रीय विवाद व कई देशों द्वारा अपने मुद्रा का अवमूल्यन किए जाने से समस्याए हुई हैं लेकिन आशा है कि जल्द सबकुछ ठीक हो जायेगा।