सूरत व रामपुर के हुनर से फर्रुखाबादी जरदोजी पर मंदी की मार –

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गयाफर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : छह दशक पुराना फर्रुखाबाद का जरदोजी कारोबार इन दिनों मंदी के दौर से गुजर रहा है। सौ करोड़ रुपये प्रतिमाह तक का व्यापार अब 15 से 20 करोड़ तक रह गया है। घर बैठे आर्डर लेने वाले व्यापारियों को अब आर्डर लेने के लिए दिल्ली, मुंबई व चंडीगढ़ के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। मंदी की मार से जरदोजी के कई व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दूसरे कारोबार की संभावना तलाशनी शुरू कर दी है।
फर्रुखाबादी जरदोजी की धूम अरब व यूरोपीय देशों में रही है। बालीबुड की अदाकारा माधुरी दीक्षित और विद्या बालन ने भी यहां के बने लहंगे पहनकर फिल्मों में धाक जमायी है। पिछले वर्षों तक यहां के लहंगे चुनरी व साड़ियां विदेशों में खासी लोकप्रिय रहीं, लेकिन एक वर्ष से निर्यात का कारोबार काफी कम हो गया है।
जरदोजी व्यापार मंडल के अध्यक्ष हाजी मुजफ्फर हुसैन रहमानी का मानना है कि सरकार की निर्यात नीति के कारण आर्डर काफी कम हो गये हैं। उन्होंने बताया कि फर्रुखाबाद में जरदोजी कारोबार हस्तकला पर आधारित है। जबकि सूरत में जरदोजी के कपड़ों का उत्पादन मशीन व पै¨चग वर्क से होता है। देश के जाने माने डिजायनरों की सेवाएं लेने के कारण वहां के जरदोजी व्यापारी आकर्षक डिजायनों में माल तैयार कर रहे हैं जो देश विदेश की मंडियों में लोकप्रिय हो रहा है। पिछले कुछ माह से रामपुर जिले में भी जरदोजी हैंडवर्क तेजी से फलाफूला है। वहां मजदूरी कम होने के कारण फर्रुखाबाद की अपेक्षा रामपुर के लहंगों की लागत कम आती है। चाकू-छुरी का काम ठप हो जाने के बाद अब वहां के मजदूर अपना हुनर अब जरदोजी में भी दिखाने लगे हैं।
जरदोजी व्यापारी हाजी शादाब हुसैन का मानना है कि स्थानीय सांसदों व विधायकों ने भी कभी जरदोजी के विकास में रुचि नहीं दिखाई। यहां के जरदोजी व्यवसाइयों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिला। जिसके कारण सदियों पुरानी हस्तकला से ही किसी प्रकार काम चलता रहा, लेकिन अब जरदोजी का कार्य भी देश के अनेक शहरों में होने लगा है। वहां के व्यापारी आधुनिक फैशन डिजाइ¨नग व तकनीक की दम पर अपने उत्पाद की अच्छी ब्रा¨डग व मार्के¨टग कर रहे हैं। यही कारण है कि फर्रुखाबाद का जरदोजी व्यापार भीषण मंदी के दौर से गुजर रहा है। यदि यही हाल जारी रहा तो हजारों गरीब मजदूर बेरोजगारी के शिकार हो जाएंगे।


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