कालीन निर्यात पहुचा दस हजार करोड़ के पार

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पहली बार आंकड़े ने छुआ १० हजार करोड़ 

कपडा मंत्री ने बताई मोदी के तीन वर्ष की उपलब्धि 

निर्यात में १००० हजार करोड़ की वृद्धि


नयी दिल्ली कारपेट कॉम्पैक्ट  मोदी सरकार के तीन वर्षों में हस्तनिर्मित कालीन उद्योग के भी अच्छे दिन आएं हैं। देश से हस्तनिर्मित कालीनों के निर्यात आंकड़ों में लगातार बढोत्तरी दर्ज की गई है। बीते तीन वर्षों में यह निर्यात आंकड़ा सात हजार करोड़ से बढ़ कर दस हजार करोड़ के पार हो गया है। इस सफलता को लेकर केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने ट्वीट कर इसे सरकार के तीन वर्ष के उपलब्धियों में जोड़ते हुए खुशी जताया है।देश में कालीन निर्माण और निर्यात के लिए विश्व भर अपनी पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश के भदोही के कालीन उद्यमियों ने खुसी जताया साथ ही  कालीन निर्यातकों का मानना है सरकार सुविधाओं में बढोत्तरी करती रहे तो निर्यात में इजाफा होता रहेगा। मोदी सरकार के तीन वर्ष होने पर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि देश मे कौन-कौन से क्षेत्रों में बदलाव आया है। इन वर्षों में मंदी से जूझ रहे भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों की स्थिति में सुधार देखने को मिले हैं। सरकार के आंकड़े कुछ यही कहते हैं कि कालीन उद्योग में 20 फीसदी दर से बढोत्तरी दर्ज की गई है। पूरे देश मे वित्तीय वर्ष 2013-14 में हस्तनिर्मित कालीन उद्योग का निर्यात 6,530 करोड़ से बढ़ कर 7,110 हुआ। 2014 -15  में यह बढ़कर 8,441 वही 2015 -16 में बढ़कर 9481 करोड़ पहुंचा और वित्तीय वर्ष 2016-17 में कपड़ा मंत्री ने ट्वीट कर बताया कि यह उद्योग अब 10,489 करोड़ का हो गया है। बीते एक वर्ष में ही इस उद्योग ने एक हजार की बढोत्तरी की है तो वहीं तीन वर्ष में चार हजार करोड़ से अधिक निर्यात में इजाफा हुआ है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद् , सदस्य प्रशासनिक समिति , अब्दुल रब का ने बताया की  इस सफलता से कालीन उद्योग से जुड़े लोग यह मानते हैं कि अगर सुविधाओं में बढोत्तरी होती रहे तो निश्चित ही निर्यात बढ़ेगा। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अब्दुल रब का कहना है कि परिषद द्वारा भारत मे दो कार्पेट फेयर अय्योजीत करने के साथ जर्मनी डोमोटेक्स में भी फेयर लगाया जाता है जिसमे सरकार का पूरा सहयोग मिलने से उद्योग को फायदा होता है।
    निर्यातक का का कहना है की  असलम महबूब, कालीन निर्यातक हांथो से बने खूबसूरत व रंग-बिरंगी कालीनो का काम विश्व में भारत के अलावा पाकिस्तान, ईरान जैसे कई देशों में होते थे लेकिन हस्तनिर्मित कालीनों पर मशीनमेड कालीनों का बड़ा प्रभाव पड़ने से दूसरे देशों में यह काम सिमट रहा है। लेकिन कला और परम्परा के नाते यह उद्योग भारत मे जिंदा है। देश मे यूपी के भदोही-मिर्जापुर, आगरा और दूसरे प्रदेशों में राजस्थान, कश्मीर सहित अन्य स्थानों पर हस्तनिर्मित कालीनों की बुनाई की जा रही है। निर्यात में एक बड़ा हिस्सा भदोही-मिर्जापुर का है। इसे लेकर निर्यातकों का मानना है कि देश के दूसरे हिस्सों से निर्यात बढ़ रहा है लेकिन भदोही में कोई खास इजाफा नही है इसके लिए सरकार को पहले से दी जाने वाली सुविधाओं में बढोत्तरी करनी चाहिए।

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