वित्तीय वर्ष 2017-18 में कालीन निर्यात में 558 करोड़ की गिरावट

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नयी दिल्ली भारतीय कालीन निर्यात पर जीएसटी का असर बीते दस वर्षो में पहली बार देखने का मिला है नोट बंदी के बाद भी सभी सेक्टर में निर्यात में गिरावट के बावजूद कालीन का निर्यात लगातार बढ़ रहा था लेकिन इस बार के आये आंकड़े से उद्योग में चिंता की लहर है जिसका मुख्य कारण जी एस टी को माना जा रहा है,  पिछले वर्ष 9994 करोड़ से घटकर निर्यात 9437 करोड़ पर आ गया है  रूपये में जहा कालीन में के टर्म में जहा 5.58 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है वही  doller 1.74 की गिरावट दर्ज की गयी है कालीन निर्यात में 558 करोड़ की गिरावट आ गयी है

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी)  के अनुसार जीएसटी लागू होने की वजह से सिल्क कालीन 44.81 प्रतिशत, हैंडनाटेड, हैंडटफ्टेड कालीनों और दरियों का बाजार 5.51 प्रतिशत और सिंथेटिक कालीन 2.48 प्रतिशत तक सिमट गया है।

पिछले वित्तीय वर्ष करोड़  2011-12– 4583 ,2012-13– 5876 ,2013-14-  7108 ,2014-15   -81442 ,2016-17   -9481 , 2017-18 –  9994   का निर्यात हुआ |

परिषद के अधिशासी निदेशक संजय कुमार के अनुसार जीएसटी की पेचीदिगियों से इस हस्त शिल्प कुटीर को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है गाँव गाँव और सुदूर क्षेत्रो में रोजगार का महत्वपूर्ण साधन कालीन उद्योग से जीएसटी की नियम कानून में उलझ  कर रह गए है इस उद्योग में जॉब वर्क में  eway बिल की नए नियम से कुटीर उद्योग में तमाम प्रक्रिया के दौरान एक कालीन ५० से ज्यादा बार एक दुसरे के पास आता जाता है एसे में गाँव क मजदूर इसे कैसे कर कारीगर के इस उद्योग लगातार मुश्किले बढती जा रही है   व्ही इस इस कुटीर उद्योग पर १२ फीसदी का जीएसटीलगा दिया गया जो अव्यहारिक है|

माना जा रहा है कि सरकार ने ई-वे बिल में कालीन उद्यमियों को छूट नहीं दी तो आने वाले समय में हालात बिगड़ेंगे।
परिषद के अधिशासी निदेशक संजय कुमार ने बताया कि सिल्क कालीन महंगे होते हैं, जिनकी मांग मामूली है। इसकी आपूर्ति कश्मीर क्षेत्र से की जाती है। 2016-17 में कुल 66.48 करोड़ के सिल्क कालीन का निर्यात हुआ था, जो इस वर्ष घट कर 35.36 करोड़ रह गया।
वहीं, हैंडनाटेड, हैंडटफ्टेड और दरी आदि का निर्यात 9234.34 करोड़ का था, जो घट कर 8725.35 करोड़ पर आ गया है। इसी तरह सिंथेटिक कालीनों की मांग 693.11 करोड़ थी, जो 2.48 प्रतिशत घट कर 675.91 करोड़ पर आ गई। हर वर्ष परिषद निर्यात में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी का लक्ष्य लेकर चलती है। इस लक्ष्य को पाना तो दूर, पिछले वर्ष के आंकड़े को भी कालीन निर्यात नहीं छू सका।
सीईपीसी चेयरमैन महावीर प्रताप उर्फ राजा शर्मा ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद से कालीन उद्योग लड़खड़ा गया है। हम लोगों ने देशव्यापी बंद और प्रदर्शन किया तो सरकार ने कुछ राहत दी।

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