बजट में क्या खास
किराए पर कटौती की सीमा 24,000 रुपए से बढ़ाकर 60,000 रुपए की गई
स्टार्टअप के लिए कुल 5 वर्षो में से 3 वर्षो तक अर्जित किए गये मुनाफे पर
100 प्रतिशत कर कटौती का लाभ
सेवानिवृत्ति के समय संबंधित धनराशि के 40 प्रतिशत तक की निकासी कर मुक्त होगी
प्रथम बार घर खरीदने वालों के लिए प्रतिवर्ष 50,000 रुपए के अतिरिक्त ब्याज की कटौती
नवीन विवाद निपटान योजना का शुभारंभ किया जाएगा
50 करोड़ रुपए से कम का राजस्व संग्रह करने वाले एवं विभिन्न मंत्रालयों द्वारा लागू 13 उपकरों को समाप्त किया जाएगा
‘ई-सहयोग’ और ई-आकलन’ का आगे और विस्तार किया जाएगा
30 वर्गमीटर तक के फ्लैटों वाली आवासीय परियोजना में उपक्रम को होने वाले लाभ पर सौ प्रतिशत कटौती
केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने कहा है कि समाज से गरीबी और असमानता को समाप्त करने के लिए सरकार के लिए कराधान एक प्रमुख उपकरण है। उन्होंने अपने प्रावधानों में महत्वपूर्ण 9 श्रेणियों को सूचीबद्ध किया है। इनमें (1.) छोटे करदाताओं को राहत (2.) वृद्धि और रोजगार सृजन बढ़ाने के उपाय (3.) मेक इन इंडिया में सहायता के लिए घरेलू मूल्य संवर्द्धनों को प्रोत्साहन (4.) एक पेशनधारी समाज की दिशा में अग्रसर होने के उपाय (5.) किफायती आवास को प्रोत्साहन देने के उपाय (6.) कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्वच्छ वातावरण के लिए अतिरिक्त संसाधनों को जुटाना (7.) मुकदमेंबाजी को कम करना और कराधान में निश्चितता प्रदान करना (8.) कराधान का सरलीकरण और तर्कसंगत स्वरूप (9.) जबावदेही को सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी का उपयोग शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि 5 लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ कम करने की दृष्टि से धारा 87 ए के अंतर्गत कर छूट की अधिकतम सीमा 5,000 रुपए तक बढ़ाकर और धारा 80 जीजी के तहत मकान किराए के भुगतान के संबंध में कटौती की सीमा 60,000 रुपए प्रतिवर्ष करके मध्यववर्गीय करदाताओं को राहत प्रदान की गई हैं। उन्होंने बताया कि अनुमान पर आधारित कराधान योजना के अंतर्गत टर्नओवर सीमा को 2 करोड़ रुपए तक बढ़़ाते हुए उदयमिता को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 1.8 लाख करोड़ रुपए के ऋण वितरित करने का लक्ष्य है और स्टार्टअप्स के लिए 5 में से तीन वर्षो के लिए 100 प्रतिशत कटौती उपलब्ध कराना भी प्रस्ताव में शामिल है।
विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के उपाय के अंतर्गत, श्री जेटली ने कहा कि आयकर अधिनियम में उपबंधित त्वरित अवमूल्यन को 1 अप्रैल 2017 से अधिकतम 40 प्रतिशत तक सीमित कर दिया जाएगा। अनुसंधान कार्य हेतु कटौतियों के लाभ 1 अप्रैल, 2017 से अधिकतम 150 प्रतिशत और 1 अप्रैल 2020 से अधिकतम 100 प्रतिशत तक कर दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि कारपोरेट कर-दर में कटौती को चरणबद्ध रूप से समाप्त किए जा रहे प्रोत्साहनों से मिलने वाले प्रत्याशित अतिरिक्त राज्स्व के अनुसार निर्धारित किया जाना है। उन्होंने 1 मार्च 2016 को या इसके बाद निगमित होने वाली नई विनिर्माणकारी कंपनियों को 25 प्रतिशत + अधिभार और उपकर की दर से कराधान का विकल्प उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया यदि वे लाभ संबद्ध या निवेश संबद्ध कटौतियों का दावा नहीं करती तथा निवेश छूट और त्वरित अवमूल्यन का लाभ नहीं उठाती। श्री जेटली ने कहा कि अपेक्षाकृत छोटे उदयमों अर्थात ऐसी कंपनियां जिनका टर्नओवर 5 करोड़़ रूपए से अधिक न हो (मार्च 2015 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान) उनके लिए आगामी वित्त वर्ष के दौरान कारपोरेट की दर को घटाकर 29 प्रतिशत + अधिभार और उपकर किया जाए।
श्री अरुण जेटली ने कहा कि स्टार्ट अप व्यवसाय रोजगार सृजित करते हैं, नवोन्मेष लाते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम में ये प्रमुख भूमिका निभाएंगे। वित्त मंत्री ने अप्रैल 2016 से मार्च 2019 के दौरान, प्रचालन आरंभ करने वाले स्टार्ट अप्स को पांच वर्षों में से तीन वर्षों तक अर्जित किए गए लाभ पर सौ प्रतिशत कर कटौती का लाभ देकर व्यवसाय को बढ़ावा देने में मदद का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में न्यूनतम एकांतर कर (एमएटी) लागू होगा। पूंजी लाभ पर कर नहीं लगाया जाएगा। यदि विनियमित/अधिसूचित निधियों में निवेश किया गया हो और यदि व्यक्तियों द्वारा ऐसे अधिसूचित स्टार्ट अप में निवेश किया गया हो, जिनमें उनकी अधिसंख्य शेयरधारिता हो।
वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि सीमा एवं उत्पाद शुल्क से जुड़ा ढांचा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की दिशा में घरेलू मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने अनेक खास कच्चे माल, मध्यवर्ती वस्तुओं एवं कलपुर्जों और कुछ अन्य विशेष वस्तुओं पर देय सीमा एवं उत्पाद शुल्क में उपयुक्त बदलाव करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने का प्रस्ताव किया है, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू उद्योग की लागत घटाई जा सके और प्रतिस्पर्धी क्षमता बेहतर की जा सके। इन क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर, पूंजीगत सामान, रक्षा उत्पादन, कपड़ा, खनिज ईंधन एवं खनिज तेल, रसायन व पेट्रोरसायन, कागज, पेपरबोर्ड व न्यूजप्रिंट, विमानों का रख-रखाव व मरम्मत, जहाज मरम्मत इत्यादि शामिल हैं।
पेंशन प्राप्त समाज की ओर बढ़ने के उपायों के तहत, श्री अरूण जेटली ने राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के मामले में सेवानिवृत्ति के समय निधि से 40 प्रतिशत आहरण को करमुक्त करने का प्रस्ताव किया। अधिवर्षिता निधियों और ईपीएफ सहित मान्यता प्राप्त भविष्य निधियों के मामलें में 1 अप्रैल 2016 के पश्चात किए गये अंशदानों से सृजित निधियों के संबंध में भी 40 प्रतिशत के कर-मुक्त होने का वही मानदंड लागू होगा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कर छूट का लाभ लेने के लिए मान्यता प्राप्त भविष्य और अधिवर्षिता निधियों में नियोक्ता के अंशदान की मौद्रिक सीमा 1.5 लाख रुपए प्रतिवर्ष करने का प्रस्ताव भी किया।
सस्ते आवास निर्माण को बढ़ावा देने के उपाय के तहत, वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना समयबद्ध तरीके से सभी और विशेषकर गरीबों की आवासीय जरूरतों का समाधान करने के लिए सरकार के आश्वासन का साकार रूप है। उन्होंने कहा कि जून, 2016 से मार्च 2019 तक अनुमोदित किए जाने वाले और अनुमोदन के तीन वर्ष के भीतर चार मेट्रो शहरों में निर्मित किए जाने वाले 30 वर्ग मीटर के फ्लैटों और अन्य शहरों में 60 वर्गमीटर तक के फ्लैटों हेतु आवास निर्माण परियोजना शुरू करने वाले उपक्रमों को लाभों से सौ प्रतिशत कटौती देने का प्रस्ताव किया। हालांकि इन उपक्रमों पर न्यूनतम एकांतर कर लागू होगा। पहली बार मकान खरीदने वालों के लिए वित्त मंत्री ने अगले वित्त वर्ष के दौरान स्वीकृत 35 लाख रुपये तक के ऋणों हेतु 50 हजार रुपये प्रतिवर्ष के अतिरिक्त ब्याज के लिए कटौती देने का प्रस्ताव किया, बशर्ते मकान की कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा न हो। उन्होंने कहा कि सरकारी निजी भागीदारी वाली स्कीमों सहित केन्द्रीय या राज्य सरकार की किसी स्कीम के तहत 60 वर्गमीटर तक के क्षेत्र में सस्ते मकानों के निर्माण को सेवा कर से छूट दी जाएगी।
कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा स्वच्छ पर्यावरण पर अतिरिक्त संसाधन जुटाने का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार खाद्य सुरक्षा से और आगे बढ़ने तथा हमारे किसानों में आय सुरक्षा की भावना भरने का इरादा रखती है। इस संदर्भ में, सरकार की योजना किसानों की आय दोगुनी करने की है। उन्होंने कृषि एवं किसानों के कल्याण के लिए 35,984 करोड़ रुपए आवंटित किए। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग की समस्या को दूर करने, सिंचाई के लिए नए बुनियादी ढांचे का निर्माण करने, उर्वरक के संतुलित उपयोग के साथ मृदा उर्वरता को संरक्षित करने एवं कृषि से बाजार तक संपर्क मुहैया कराने का है। श्री अरुण जेटली ने कहा कि 141 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध खेती वाले क्षेत्रों में से केवल 65 मिलियन हेक्टेयर ही सिंचित हैं। इस बारे में, उन्होंने ‘प्रधानमंत्री सिंचाई योजना’ की घोषणा की जिससे कि अन्य 28.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई के साथ लाने के लिए मिशन मोड में क्रियान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि एआईबीपी के तहत 89 परियोजनाओं को फास्ट ट्रैक किया जाएगा जो अन्य 80.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई के तहत लाने में मदद करेगा। उन्होंने इन परियोजनाओं में से 23 को 31 मार्च 2017 से पहले पूरा करने का वादा किया। इन परियोजनाओं के लिए अगले वर्ष 17 हजार करोड़ रुपए और अगले 5 वर्षों में 86,500 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सभी कर योग्य सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत की दर से कृषि कल्याण उपकर नाम उपकर लगाने का प्रस्ताव करता हूँ। यह उपकर 1 जून, 2016 से लागू होगा।
देश में शहरों में प्रदूषण और यातायात की स्थिति के मद्देनजर वित्तमंत्री ने पेट्रोल, एलपीजी, सीएनजी की छोटी कारों पर एक प्रतिशत, कतिपय क्षमता वाली डीजल कारों पर 2.5 प्रतिशत और अधिक इंजन क्षमता वाले अन्य वाहनों और एसयूवी पर 4 प्रतिशत अवसंरचना उपकर लगाने का प्रस्ताव रखा। तंबाकू और तंबाकू उत्पादों के सेवन को हतोत्साहित करने के लिए श्री जेटली ने बीड़ी के अतिरिक्त अन्य तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क 10 से 15 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव किया। उन्होंने वित्त अधिनियम 1994 में संशोधन का प्रस्ताव किया।
वित्त मंत्री ने कोयला, लिग्नाइट और पीट पर लगाए गए ‘स्वच्छ ऊर्जा उपकर’ को ‘स्वच्छ पर्यावरण उपकर’ का नया नाम दिया और उसकी दर 200 रुपए प्रति टन से बढ़ाकर 400 रुपए प्रति टन करने की घोषणा की। तंबाकू और तंबाकू उत्पादों की खपत को हत्तोत्साहित करने के लिए उन्होंने बीड़ी को छोड़कर विभिन्न तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगभग 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक बढ़ाने की घोषणा की।
वित्त मंत्री ने एक स्थिर और संभाव्य कराधान व्यवस्था मुहैया कराने तथा काले धन में कमी लाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने घोषणा की कि घरेलू करदाता 30 प्रतिशत एवं 7.5 प्रतिशत अधिभार तथा 7.5 प्रतिशत आर्थिक दंड जोकि कुल मिलाकर अघोषित आय का 45 प्रतिशत होगा, अदा करने के द्वारा अघोषित आय या किसी परिसंपत्ति के रूप में ऐसी आय की घोषणा कर सकते हैं। वित्त मंत्री ने कराधान के सरलीकरण एवं उसे युक्तिसंगत बनाए जाने पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न मंत्रालयों द्वारा लगाए गए 13 उपकरों, जिनमें एक वर्ष में राजस्व संग्रह 50 करोड़ रुपए से कम है, को समाप्त कर दिया जाएगा। अप्रवासियों भारतीयों के लिए पैन कार्ड के वैकल्पिक दस्तावेज मुहैया कराने की अनुमति प्रदान की जाएगी और आयकर के लिए टीडीएस प्रावधानों को विवेकपूर्ण बनाया जाएगा। उन्होंने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित बैंकिंग कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा जमाओं, उधारों और अग्रिमों के जरिए प्रदान की गई गैर-कर योग्य सेवाओं के संबंध में वैकल्पिक अतिरिक्त विकल्प मुहैया कराए जाएंगे। उन्होंने कर विभाग में व्यापक रूप से प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया जिससे कि कानून का पालन करने वाले नागरिकों का जीवन सरल बनाया जा सके। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की प्रत्येक भारतीय, विशेष रूप से किसानों, गरीबों एवं कमजोर वर्गों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा देने की इच्छा है। अंत में, उन्होंने कहा कि सरकार का स्वप्न है; अधिक समृद्ध भारत को देखने का; और स्वप्न है ‘भारत को विकसित देखने का’।