बुनकरों की आय को दुगुना  सरकार की प्राथमिकता – केन्द्रीय कपड़ा सचिव राघवेन्द्र

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भदोही केन्द्रीय कपड़ा सचिव राघवेन्द्र सिंह ने आज भदोही के कालीन तकनिकी संस्थान और भदोही कालीन संस्थानों  में जाकर  कालीन के निर्माण की के बारे जानकारी ली छात्रों के साथ संवाद किया जिसमे उन्होंने कहा की बुनकरों की आय को दुगुना  सरकार की प्रथमिकता है इसके लिए कालीन उद्योग में बुनकरों और खरीदारों के बीच में बिचोलिया को हटाना चाहिए उन्होंने इसके लिए क्लस्टर बनाकर साडी सुबिधाये मुहैया कराने पर जोर दिया |

उन्होंने पत्रकारों के सवालों का जबाब देते हुए कहा की उनकी सरकार की चिंता है की बुनकरों की मासिक आय बढे उन्हें तकनिकी से जोड़ा जाये और सीधे बाजार उपलब्ध कराई जाये उन्होंने कहा कहा की कालीन उद्योग क भदोही मिर्जापुर के आलावा आस पास के अन्य क्षेत्रो में बढ़ाना चाहिए उन्होंने छात्रों से कहा वे अपनी समझ और जानकारी बढाकर दुनिया के अनुरूप ढाले डिजाइनों को विश्व  के अनुरूप विकसित करे उन्होंने कहा बुनकर की मासिक आय कम है इसे बढ़ाना चाहिए उन्होंने कहा की उद्योग को ऐसी निति बननी  चाहिए की बुनकरों की आय बड़े इसमें सरकार भी सहयोग करेगी |

केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के सचिव राघवेंद्र सिंह ने कहा कि कालीन बुनकरों की मासिक आमदनी छह से दस हजार तक सीमित रह गई है, जो चिंता की बात है। हमारे प्रधानमंत्री बुनकरों की आय दोगुना करने के प्रति गंभीर हैं। इसके लिए सरकार बुनकरों के उत्पाद को सीधे निर्यात करने समेत कई नई योजनाओं पर विचार कर रही है। वह रविवार को भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) का निरीक्षण करने पहुंचे थे।

केंद्रीय सचिव ने कहा देश का समूचा कालीन व्यापार भदोही-मिर्जापुर से होता है, फिर भी यहां के बुनकर बदहाल हैं। उनकी आमदनी कई वर्षों से स्थिर है। इसलिए सरकार चाहती है कि बुनकर खुद अपने बुने हुए कालीन का निर्यात करें ताकि उनकी आय बढ़ सके। इसके लिए कामन फैसिलिटी सेंटर के माध्यम से उन्हें काम देने और फिर उनका माल सीधे निर्यात करने के बारे में विचार किया जा रहा है। उन्होंने संस्थान के बारे में कहा कि इसकी स्थापना कालीन उद्योग के विकास के लिए की गई है लेकिन यह आसपास के जनपदों तक ही सीमित रह गया है। कहा कि यह इस तरह का देश में इकलौता संस्थान है। हम इसमें सीटें भी बढ़ा सकते हैं लेकिन उससे पूर्व इस पर गहन विचार करना होगा। डिजाइनिंग के विद्यार्थियों से मुखातिब होकर कहा कि उनका कोर्स कितना कारगर है यह देखना होगा, क्योंकि डिजाइनर का मतलब कंप्यूटर तकनीशियन बनना नहीं है। डिजाइनिंग के लिए नए आइडिया होने चाहिए तथा उसी दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने संस्थान की प्रयोगशालाओं और लाइब्रेरी को उच्चीकृत करने की बात कही। इसके पूर्व उन्होंने संस्थान के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों, कर्मचारियों से अलग-अलग बात की। इस मौके पर विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) शांतमनु, संस्थान के प्रभारी डीएम राजेंद्र प्रसाद, सांसद वीरेंद्र सिंह, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष महावीर प्रताप, उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह, निदेशक संजय कुमार, ओएन मिश्रा, राजेंद्र मिश्रा, प्रो. एसके पाल, एसके पांडेय, निदेशक हैंडिक्राफ्ट अरुण कुमार यादव ने भी विचार रखे।

भदोही के सांसद वीरेंदर सिंह ने कहा की किसानो  और बुनकरों की आय दुगुना करना मोदी सरकार की प्राथमिकता  की सूचि में है उनके साथ विकास आयुक्त  हस्तशिल्प शांत मनु , कालीन निर्यात संवर्धन परिषद् के अध्यक्ष महवीर शर्मा , परिषद् के दितीय उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह परिषद् के निदेशक संजय कुमार भी थे

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