कम पानी व केमिकल का प्रयोग कर जल प्रदूषण का करें रोकथाम: संजय

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एकमा में आयोजित हुआ जल पुनः निर्माण और प्रदूषण की रोकथाम पर सेमिनार

भदोही गंगा बेसिन को प्रदुषण से मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई पर्यायवरण और वैज्ञानिक की टीम ने आज  देश के टेक्सटाइल्स उद्योग के लिए बने चार्टर को भदोही में जारी किया गया   है। सेमीनार में एक्सपर्ट कमेटी  के चेयरमैन  पी के मिश्रा ने गंगा बेसिन में उत्तर भारत को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश में भदोही के कालीन भवन में आज कालीन निर्यात संवर्धन परिषद् और अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के साथ केंद्र सरकार की वाटर रिसाइकिलिंग एंड पॉल्यूशन रिवेन्शन इन टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री की टीम के चेयरमैन पी. के. मिश्रा के साथ आई.सी. टी. {मुंबई} के आर. वी. आदिवेरकर , {कोल्हापुर} के  विशेषज्ञ  संजय हराने , {दिल्ली आई। आई. टी, } के  डाक्टर विवेक , {बी. एच. यूं. के पर्यायवरण के पूर्व निदेशक }एस. एन. उपाध्याय सहित कार्पेट बोर्ड एवं कालीन निर्माता संघ के पदाधिकारी के एक सेमीनार में बोलते हुए चार्टर टीम ने बताया इसमें कुछ सुझाव दे सकते है। चेयरमैन पी के मिश्रा ने कहा की गंगा बेसिन को 950 उद्योग गंदा कर रहे है। कमेटी के चेयरमैन सहित सभी सदस्यों ने साफ़ किया की इस चार्टर में तीन मुख्य बाते शामिल है। जैसे की पहला यह की कालीन कारखानों डाइंग प्लांटों में कम से कम पानी का इस्तेमाल कैसे हो। और दूसरा की जो डाइंग प्लांट कैसे इस्तेमाल किया जाए तथा तीसरा सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह की केमिकल का इस्तेमाल किस तरह से रोका जाए जिससे की टेक्सटाइल्स उद्योग में इस्तेमाल के बाद का पानी गंगा में जाने से रोका जा सेमिनार में जिसमें कालीन उद्योमियों से पानी व केमिकल का इस्तेमाल कम करने की सलाह दी गई। साथ ही प्रदूषित पानी को कैसे साफ किया जाए। इसकी भी जानकारी दी गई। उन्होंने कहा की जितना कम पानी इस्तेमाल करेगे उतना ही कम रसायन लगेगा इसके लिए हर प्रोसेस में पानी की बचत करनी होगी साथ प्रकृति ने जिस रूप में हमें पानी दिया है उसी रूप में उसे वापस करना चाहिए |

इस दौरान केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य व विशेषज्ञ संजय हराने ने कहा कि कालीन उत्पादन को तैयार करने के लिए काफी मात्रा में पानी के साथ ही केमिकल का प्रयोग किया जाता है। जिस हिसाब से पानी लिया जाता है। ठीक उसी अनुपात में केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि पानी का इस्तेमाल कम करेंगे तो केमिकल का प्रयोग कम होगा। साथ ही इससे जल प्रदूषण का खतरा कम हो जाएगा। वैसे जिस प्रकार से जल दोहन हो रहा है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो पेट्रोल से पहले पानी खत्म होने की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। श्री हराने ने कहा कि छोटे-छोटे उपकरणों को लगा कर काफी पानी व केमिकल को बचाया जा सकता है। ऐसे में इकाईयां अपने यहां लैब बनाएं और गंदे पानी को प्रवाहित करने से पहले उसके टीडीएस की माप कर ले। जल शोधन संयंत्र के माध्यम से उसे शो़धित करें। उसके बाद पानी प्रवाहित करने पर जल प्रदूषण का खतरा नही रहेगा। उन्होंने कहा कि 105 केमिकल को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। ऐसे में प्रतिबंधित केमिकल का प्रयोग कत्तई न करें। कोशिश करें की ज्यादा प्राकृतिक केमिकल का प्रयोग हो। जो काफी अच्छा होता है और इसका प्रोसेस भी काफी आसान है।

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद् के प्रथम उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने कहा की उद्योग चलेगे तभी रोजगार मिलेगा लेकिन इसके साथ नियम का पालन भी होना चाहिएवहीं एक्सपर्ट आशीष विद्यार्थी ने प्रोजेक्टर के माध्यम से मौजूद लोगों को इसके बारे में विस्तार से समझाया और महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। उन्होंने बताया की टेक्सटाइल के क्षेत्र में 200 उद्योग जिसमे ४० उद्योग और रंगाई संयत्र भदोही में है है इस मौके पर सीईपीसी के प्रथम उपाध्यक्ष सिद्ध नाथ सिंह, एकमाध्यक्ष ओंकार नाथ मिश्र, हाजी शाहिद हुसैन अंसारी, उमेश कुमार गुप्ता “मुन्ना’, हाजी अब्दुल रब अंसारी, वासिफ अंसारी, हाजी अब्दुल हादी, प्रकाश चंद जायसवाल, फिरोज खां, रवि पाटोदिया, प्रदीप कुमार मौर्य, शिव शंकर यादव, एचएन मौर्य व सुजीत कुमार मौर्य आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। कार्यक्रम का सञ्चालन पूर्व एकमा अध्यक्ष रवि पटोदिया ने किया

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