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भारत सरकार ने तिरूपुर में रंगाई उद्योग की इस समस्या पर संज्ञान लिया और वस्त्र मंत्रालय की सिफारिश पर वित्त मंत्रालय ने सीईपी के प्रदर्शन के आधार पर अनुदान में परिवर्तित करने के लिए 18 सीईटीपी के लिए तमिलनाडु को ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 200 करोड़ रूपए की मंजूरी दी है।
इस कदम से सीईटीपी और 450 रंगाई इकाइयों को वित्तीय संकट से उबरने और 100 प्रतिशत क्षमता उपयोग को प्राप्त करते हुए परियोजना को पूर्ण करने में सहायता मिलेगी।
तिरूपुर रंगाई उद्योग में 450 से ज्यादा रंगाई इकाइयों का कुल 1013 करोड़ रूपए की लागत से सीईटीपी समर्थ 18 जेडएलडी के रूप में सामूहिक रूप से गठन किया गया था। यह परियोजना एक वैश्विक मानक का रूप ले चुकी है और इसे पर्यावरणविदों और प्रसंस्करण उद्योग के लिए दुनियाभर से सराहा भी जा चुका है। हालाकि अपनी तरह की इस पहली परियोजना को तकनीकी चुनौतियों,लागत बढ़ने से बकाया ऋणों और अधूरी परियोजनाओं ने वित्तीय संकट में डाल दिया।
तिरूपुर वस्त्र प्रसंस्करण और बुनाई उद्योग का एक केन्द्र है जो पांच लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करते हुए देश के वस्त्र निर्यात में 22 प्रतिशत का योगदान देता है। प्रसंस्करण उद्योग के बंद होने से इस क्षेत्र के समूचे वस्त्र क्षेत्र को मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है।