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कालीन मेले में स्टालों पर दिखा अंतराष्ट्रीय बदलाव का असर , निर्यातकों ने स्टाल की डिजाइनों पर की है कड़ी मेहनत, स्टालों ने किया आयातकों को आकर्षित वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा आयोजित 34वें अंतर्राष्ट्रीय कालीनमेला में अन्तर्राष्ट्रीय मार्केटिंग और ब्राडिंग की छाप स्टालों पर देखने को मिली है। कालीन मेले में निर्यातकों के विश्वस्तरी य कारपेट स्टाल दिखाई देरहे हैं। जिन्हे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डेवलप किया गया है। कालीन मेले में इस तरह के प्रयोग तेजी से बढ़ रहे हैं, इससे विदेशी आयातक इन स्टालों कीओर आकर्षित हो रहे हैं। मेले में लगाए गए स्टालों में कालीनों के कलर संयोजन की तरह स्टाल में भी बेहतर कलर और डिजाईन का प्रयोग करनिर्यातक अपने प्रोडक्ट की ब्रांडिंग कर रहे हैं साथ ही यह प्रयोग मेले को काफी आकर्षक बना रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग के लिए मेला एक बड़ा माध्यम साबित हो रहा है वहीं स्टालों के अंदर कालीन बनाने से संबंधित टूल्स, धागों आदि कोप्रदर्शित करने के साथ कालीन हस्तशिल्पयों के जीवनशैली का भी चित्रण देखने को मिल रहा है। मेले में कई ऐसे निर्यातक हैं जिन्होने पहली बारकिसी फेयर में अपना स्टाल लगाया है इससे उन्हे फायदा भी मिल रहा है। मेंले में 274 स्टालों और सात हजार वर्ग मीटर क्षेत्र ने आयातकों को अपनीतरफ आकर्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इस कारण निर्यातक ऐसे स्टाल बनाने पर जोर दे रहे हैं। जो आयातकों को अपने तरफआकर्षित कर स्टाल में आने के लिए प्रेरित करें। इसके बारे में आरएमसी के निर्यातक अब्दुल रब का कहना है कि मेंले में स्थान और स्टाल का बनावट और उसमें प्रोडक्ट का डिस्प्ले मेले में भाग लेनेवालों की सफलता का पैमाना तय करती है। उन्होने अपने स्टाल को सफेद रंग दिया है साथ है उसमें बेहतरीन लाइटिंग का प्रयोग किया है। वहीं विवरनॉट के निर्यातक सलमान ने पहली बार मेले में कम जगह में ही ग्रीन कलर का प्रयोग करते हुए स्टाल को प्रदर्शित किया है उनका कहना है कि इससेउनका आयातकों के साथ अधिक जुड़ाव रहा। भदोही के निर्यातक जावेद रग्स ने अपने स्टाल को अंतराष्ट्रीय थ्रीडी डिजाइन का प्रयोग करते हुए उसेआकर्षक बनाया है । वहीँ सभी कालीन मेलों में भव्य व सुंदर स्टाल लगाने वाले ग्लोबल ओवरसीज के निर्यातक संजय गुप्ता ने कहा कि मेले में स्टालके माध्यम से अगले छह महीने के लिए निर्यात ऑर्डर बुक करने का प्रयास होता है। इस चार दिवसीय मेले में स्टाल लगाने के लिए पूरे वर्ष काम करनापड़ता है। हम प्रयास करते हैं की हमारा स्टाल अधिक से अधिक हमारे प्रोडक्ट को डिस्प्ले कर सके साथ ही स्टाल को सुंदर बना सके। इस बारे में परिषद के अध्यक्ष महावीर शर्मा का कहना है कि मेले को लेकर निर्यातक नए नए प्रयोग कर रहे हैं वहीं परिषद का यह मेला अंतर्राष्ट्रीयस्तर पर स्थापित हो चुका है। यही कारण है कि अब नए देशों के आयातक भी मेले में काफी संख्या में आए हैं और भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों केप्रति उनका रूझान तेजी से बढ़ा है। परिषद़ के प्रथम उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि पहला मेला सिर्फ 250 वर्ग मीटर के साथ शुरू किया गया था। उस दौरान काफी साधारण स्टालबनाए जाते थे और कुछ निर्यातक ही उसमें शिरकत करते थे लेकिन आज यह मेला विश्व स्तर पर एक ब्रांड बन चुका है। तीन दिनों में छह सौ आयातक व उनके प्रतिनिधियों ने किया शिरकत वाराणसी के सम्पूर्णान्द संस्कृत विश्वविद्यालय में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा आयोजित 34वे कालीन के तीन दिनों में लगभग छह सौआयातकों व् उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके बारे में जानकारी देते हुए परिषद के अध्यक्ष महावीर शर्मा ने बताया कि तीन दिनों में 275आयातक व आयातकों के 304 प्रतिनिधियों ने मेले में अपनी भागीदारी दिखाई। परिषद के प्रयासों से कई प्रमुख देशो के बड़े आयातक भी मेले में पहुंचेऔर निर्यातकों के साथ व्यापारिक अनुबंध किया
दुसरे दिन फेयर में शामिल हुए पांच सौ से अधिकआयातक व उनके प्रतिनिधि, मेले कोलेकर आयातकों निर्यातकों में दिखा उत्साह कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा वाराणसी केसम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित चारदिवसीय 34वे कालीन मेले में स्टालों पर लगी रंगबिरंगी और मनमोहक डिजाइनों ने विदेशी आयातकोंको अपनी तरफ आकर्षित किया। स्टालों परविभिन्न प्रकार के आकर्षक कालीन देखने को मिलरहे हैं। मेले में कालीन पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी का चित्र भी बनाकर कर बुनकरों और निर्यातकोंने अपनी कला का प्रदर्शन किया है। मोदी की तस्वीर वाली कालीन जिस स्टाल पर लगीहै उसके निर्माता जफर हुसैनी ने बताया कि कालीनपरंपरागत डिजाईनों से निकल कर अब तमाम तरीकेके प्रयोग किए जा रहे हैं। कालीन पर बना प्रधानमंत्रीमोदी का बना यह चित्र इसका एक प्रमाण है। इसकेपूर्व आयोजित कालीन मेले में भी उनके द्वारा पशुपक्षियों वाली तस्वीर पर आधरित कालीन प्रदर्शितकिए गए थे जिसे काफी पसंद किया गया था औरउसके अच्छे आर्डर भी आ रहे हैं। वहीं नई दिल्ली केरग्स ओवरसीज के मालिक बोथराज मल्होत्राने कालीन पर पेरिस में स्थित एफिल टावर कीडिजाइन प्रदर्शित किया है जो मेले केंद्र रहा। इस बार कालीन मेले में प्रदर्शित उत्पादों में काफीविविधता देखने को मिल रही है। तरह–तरह के कालीनमें ऊन के बहुत सारे प्रयोग दिखाई पड़़ रहे हैं।परंपरागत कालीनों में जहां सिर्फ ऊन का प्रयोग होताथा वहीं अब सिल्क, बम्बू सिल्क, जूट, काटन काभी प्रयोग कालीनों में बहुतायत में हो रहा है औरइससे विभिन्न तरीके के डिजाईने बनाई जा रही हैं।निर्यातकों का कहना है कि अब आयातकों को अच्छीफीनिशिंग, कलर व टेक्स्चर काफी प्रभावित कर रहीहै। जिन निर्यातकों ने इसकी समझ और प्रयोग करनेपर जोर दे रहे हैं उनके कालीनों की मांग बनी हुई है।निर्यातक ने कहा कि कालीन मेले से उन्हे नए प्रयोगकरने के लिए प्रेरणा मिलती है । अमेरिका के आयातक कैमरॉन फिजी ने कहा कि यहां काफी अच्छी वेरायटी है। आज हैंडलूमटेक्सटाइल की मांग हमारे देश मे बढ़ रही है। एकबायर के प्रतिनिधि मुश्ताक ने कहा कि भारत कीटेक्सटाइल मशीनमेड की अपेक्षा हैंडमेड में काफीअच्छी उत्पाद डेवलप की जा रही है। परिषद के अध्यक्ष महावीर शर्मा ने बताया कि मेले मेंअब तक पांच सौ से अधिक विदेशी आयातक औरउनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया है। निर्यातक भी मेलेको लेकर काफी उत्साहित हैं। मेले में कई नए देशोंके आयातकों ने भारतीय निर्यातकों से व्यापारिकसंबंध बनाने में उत्सुकता दिखाई। आज मेले में स्थानीय विधायक रविंद्र जायसवाल नेमेले का भ्रमण कर प्रदर्शित उत्पादों को सराहा ।कालीन पर बने मोदी के चित्र के साथ अपनी सेल्फीभी लिया । मेले में भदोही के पूर्व विधायक जाहिद बेगने भी भ्रमण किया ।