सोनभद्र । कालीन निर्यात में 15 वर्ष पहले तक सितारे के रूप में पहचान रखने वाला ओबरा में कालीन उद्योग बंद हो गया है। प्रखंड के कुरायपुर में कालीन व दरी उद्योग दम तोड़ रहा है। बुनकरों की स्थिति बदतर हो गई है। बुनकर पलायन करने को मजबूर हैं। कभी कालीन उद्योग के मामले में ओबरा चर्चित रहा था। उत्तर प्रदेश के भदोही से ओबरा का नाम जोड़ा जाता था अब यह सोहरत इस मामले में न केवल दफन हो गया बल्कि सैकड़ों परिवारों के समक्ष रोजगार का संकट आ गया। जानकार बताते हैं कि ओबरा में सैकड़ों मजदूर बेकार हो गए। आज वह दूसरे देशों में पलायन कर रहे हैं। 29 दिसंबर 2011 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महफिल-ए-कालीन ओबरा को यात्रा के दौरान आए थे और महफिल-ए- कालीन को देखकर उन्होंने कहा था कि इसे भदोही से जोड़ा जाएगा। कालीन उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा परंतु ऐसा नहीं हो सका। तत्कालीन जिला पदाधिकारी एवं उद्योग के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाते हुए उसे शीघ्र चालू कराने का आश्वासन दिया था परंतु कोई सुधार नहीं दिखी। फिर उसके बाद दिल्ली की टीम मार्च-2019 में कुशल विकास के डिप्टी निदेशक विनोद दुबे एवं निदेशक मीना ने महफिल-ए-कालीन को देखा। देखने के बाद कहा कि अप्रैल 2019 से इसे चालू कराया जाएगा परंतु वर्तमान में स्थिति खराब हो गई है। महफिल-ए-कालीन में जो लोग आर्डर देते हैं, उन्हें कालीन बनाकर दिया जाता है।