कालीन उद्योग नयी तकनिकी अपनाये – कपड़ा मंत्री

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जयपुर। केन्द्र सरकार कपड़ा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कौशल विकास पर 1300 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस धनराशि से देशभर में हस्तशिल्प, हथकरघा और गलीचा उद्योग से जुडे कारीगरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने जयपुर में कारपेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गलीचा उद्योग में नई तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और इसके लिए इस उद्योग से जुड़े कारीगरों को नई तकनीक से परिचित कराने के मकसद से देशभर में 740 कार्यशालाओं का आयोजन किया जा चुका है। इसके साथ ही कपड़ा क्षेत्र में नए बाजार की संभावनाएं तलाशने, डिजाइन को उन्नत करने तथा पैकेजिंग की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी 700 से ज्यादा कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं।
ईरानी ने कहा कि कालीन उद्योग के सामने सबसे बड़ी चुनौती मशीनों से बनने वाले कालीन हैं, इसलिए आवश्यक है कि परंपरागत उद्योग नई डिजाइन और पैकेजिंग पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने कहा कि कपड़ा और हथकरघा क्षेत्र में ब्रांडिंग, मार्केटिंग और पैकेजिंग के विषयों पर चर्चा के लिए अगले दो सप्ताह के भीतर इन उद्योगों से जुड़ी संस्थाओं की बैठक होगी।ईरानी ने जयपुर के ब्लू पॉटरी उद्योग पर जीएसटी कम करने के मुद्दे को जीएसटी परिषद में उठाने का भी आश्वासन दिया। स्मृति ईरानी ने कहा कि सरकार और कपड़ा उद्योग के बीच अच्छा समन्वय है तथा उनका मंत्रालय कारीगर से जुड़े मुद्दों पर काफी संवेदनशील है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित बुनकर और वस्त्र उद्योग से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे। कारपेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष महावीर शर्मा ने ईरानी का स्वागत करते हुए कहा कि देश में लगभग 800 हस्तशिल्प उत्पाद प्रचलन में हैं। उन्होंने गलीचा उद्योग पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।

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